भर राजा रुद्रमल का इतिहास । रुदौली शहर का स्थापन किसने करवाया
भर/राजभर का गौरवशाली इतिहास रहा है कुल 165 भर/राजभर राजा भारत देश मे हुए उनमें से कुछ राजाओ का नाम आपने पढ़ा या सुना होगा । आज के युग में भर/राजभर के इतिहास को कहीं ना कहीं भूल चुके हैं आज हम इस लेख मे एक ऐसे राजा के बारे में बतायेंगे जिनके नाम पर रुदौली शहर का स्थापन हुआ था ।
भर राजा रुद्रमल
राजा रूद्रमल भर (11वी शदी) रुदौली जिला बाराबंकी से फैज़ाबाद मार्ग पर लगभग 38km.की दूरी पर तहसील रामसनेही घाट के अन्तर्गत रोड के दाहिने भर राजा रूद्रमल का किला था । आज भी इसके खंडहर देखे जा सकते हैं भर राजा रूद्रमल के नाम पर ही इस शहर का नाम रुधौली पड़ा। कुछ विद्वानों का मत है कि भर शासक रुद्रमल रूद्र (शिव) के उपाषक थे ।
और उन्होने यहां पर एक भगवान रुद्र (शिव) का एक भव्य मंदिर बनवाया था । जहाँ राज परिवार के साथ साथ क्षेत्रिय जनता भी पूजा अर्चन करती थी । अतः भगवान रूद्र (शिव) के नाम पर इस स्थल का नाम रुद्रौली पड़ा । जो कालांतर में रुदौली कहलाया ।
गजेटियर आफ प्रविन्श आफ अवध (1877) के वैलूम 3 पेज 274 के अनुसार भर राजा रुद्रमल ने इस शहर को बसाया था इसलिए इस शहर का नाम रुदौली पड़ा । भर राजा रुद्रमल का राज्य भी मुस्लिम आक्रांताओं का शिकार हो गया। इस राज्य के पतन की घटना इस प्रकार है ।
सैयद रुकुनुदीन और सैयद ज्मालूदीन दो भाई अरब से भारत आए और कस्बा रुदौली में बस गये। दोनों ने विस्तारबादी नीति अपनाना शुरू किया तथा धर्म परिवर्तन हेतु हिन्दुओं को उकसाने लगे । ये दोनों भारतीय राजाओं की गोपनीय सूचना मुस्लिम शासको को देते थे । तथा इसका आँकलन करके महमूद गजनवी को आक्रमण के लिय आमंत्रित करते थे । राजा रुद्रमल के गुप्तचरों ने इन दोनों के षड़यंत्र का पर्दाफाश करते हुए राजा को सतर्क किया । राजा रूद्रमल ने इन दोनों को अपने राज्य से बाहर करने के लिये दबाव बनाना शुरू किया । इन दोनों के कारगुजारी का पता राजा को हो गया है यह जानकर भयभीत हो गये । अतः अपने जान माल की रक्षा हेतु गजनी देश के सुल्तान महमूद गजनवी के शरण में गये ।
इस घटना को पुस्तक मीराते मसऊदी पेज 43-44 लेखक अब्दुर्रहमान चिश्ती ने इस प्रकार उल्लेख किया है सैयद रुकुनुदीन और सैयद कमालुद्दीन (अरब) हिन्दुस्तान के कस्बा रुदौली से बतौर फरियादी बादशाह गजनवी के दरबार में पहुचे । वहां उनकी फरियाद नहीं सुनी गयी । वे दोनों वहीं राख एकत्रित करके उसमे कुछ ढूढ़ने लगे दरबारियों ने उनसे पूछा इस राख में क्या तलाश रहे हो ? दोनों ने बताया कि हम लोग इस राख में बादशाह को तलाश रहे हैं । इसकी सूचना बादशाह को हुई । बादशाह ने दोनों फरियादियों को दरबार में बुलाया । हसन मेहदी ने दोनों को बादशाह से मुलाकात करवाया । बादशाह के पूछने पर दोनों ने बताया कि हम लोग हिंदुस्तान के कस्बा रुदौली में रहते हैं। वहां चारो तरफ हिंदू ही हिंदू हैं वहां का राजा हम लोगों को मार डालना चाहता है वहां इस्लाम खतरे में है हम लोग कहाँ जायें अब आप का ही सहारा है। खुदा के वास्ते आप हम लोगों को बचाए ।
महमूद गजनवी ने कहा कि तुम लोग चिन्ता मत करो हम तुम्हारी रक्षा करेंगे । दूसरे दीन बादशाह गजनवी ने सैयद सालार मसुद गाजी और रज्जब सालार को विशाल सैन्य टुकड़ी के साथ रुधौली भेजा । हुक्म की तामील हुई दोनों ने अपनी सैन्य टुकड़ी के साथ हिन्दुस्तान के रुधौली के लिए प्रस्थान किया। वहां पहुंच कर अकस्मात आक्रमण कर दिया ।
भर राजा रूद्रमल इस आकस्मिकत आक्रमण से भौचक्के हो गये । लड़ाई की कोई तैयारी नहीं थी अतः अपना पुश्तैनी किला छोड़कर लड़ते लड़ते जंगल की तरफ भाग निकले। सैयद सालार मसुद गाजी ने दोनों फरियादियों से रुकुनुदीन और जमालुदीन को वहां का राज्य सौंप दिया और कुछ दिन वहीं रुक कर गजनी को चला गया । इस प्रकार भर राजा रुदौली का पतन हो गया।
पुत्री जौहरा बेगम से सैयद सालार मसुद गाजी का रुदौली प्रवास के समय प्रेम हो गया था । गाजी जौहरा बेग़म से शादी करना चाहता था । पुनः सैयद सालार गाजी दूसरी बार गजनी से विशाल सेना के साथ जेहाद और लूटपाट के लिए अवध क्षेत्र में आया तो उस समय रुधौली भी गया वहीं प्रवास के समय ही उसकी शादी का दिन भी निश्चित हो गया था । परन्तु दुर्भाग्य से सैयद सालार मसुद गाजी का भांजा रज्जब सालार हठीला का बहराइच के राजाओं से युध्द ठन गया और सैयद सालार मसुद गाजी को बहराइच जना पड़ गया जहाँ लड़ाई में महाराजा सुहेलदेव राजभर के हाथों मारा गया । गाजी और जौहरा बेगम के शादी का ख्वाब ख्वाब ही रह गया । बाद में जौहरा बेगम ने गाजी के मजार पर जाकर प्राण त्याग दिया ।
आज भी जमालुदिन के वंशज रुदौली से बहराइच गाजी के मजार पर पीढ़ा और शादी का समान लेकर मजार पर शादी की रस्म अदायगी के लिये आते हैं और शादी नहीं होती है और वे वापस चले जाते हैं।
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