वीर शिरोमणि महाराजा लाखन भर ( राजभर ) का इतिहास
लखनऊ शहर लाखन भर ( राजभर ) के नाम से बसाया गया था।राजभर राजाओं में एक बहुत बड़ी खासियत रही है कि जिस राज्य में राज करते थे। उस नगर को अपने नाम से विख्यात भी करते थे। महाराजा लखन भर पर बहुत सारी कहावत प्रचलित है। राजा लाखन भर इतने शक्तिशाली योद्धा थे कि बहुत से लड़ाइयां उन्होंने अपने जीवन काल में जीते थे।
वीर शिरोमणि महाराजा लाखन भर ( राजभर ) का इतिहास
लखनऊ शहर लाखन भर ( राजभर ) के नाम से बसाया गया था। राजभर राजाओं में एक बहुत बड़ी खासियत रही है कि जिस राज्य में राज करते थे। उस नगर को अपने नाम से विख्यात भी करते थे। महाराजा लखन भर पर बहुत सारी कहावत प्रचलित है।राजा लाखन भर इतने शक्तिशाली योद्धा थे कि बहुत से लड़ाइयां उन्होंने अपने जीवन काल में जीते थे ।
आज जिस टीले पर किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज की भव्य इमारत खड़ी है। उसी टीले पर महाराजा लाखन भर का किला हुआ करता था। क्षत्रिय लाखन भर का राज्य 10वीं शताब्दी में था। लखनऊ का टीला बताया जाता है कि यह टिला दो किलोमीटर लम्बा तथा उतना ही चौड़ा था। यह टिला धरातल से काफी ऊंचाइयों पर था। टिले के मुख्य भाग पर किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज स्थापित है। यही स्थान लाखन भर किला के नाम से जाना जाता था ।
टीले पर ही बड़ा इमाम बाडा़ मेडिकल कॉलेज, मच्छी भवन , टीलें वाली मस्जिद तथा आस पास का क्षेत्र है। राजा लाखन भर की पत्नी का नाम लखनावती था। संभवतः कुछ दिनों तक इसीलिए लखनऊ का नाम भी लखनावती चलता था। राजा लाखन भर ने लखनावती वाटिका का निर्माण कराये थे। जिसके पूर्वी किनारे पर नाग मंदिर भी बनवाये थे। राजा लाखन राजभर नाग उपासक थे। किले के उत्तरी भाग में लाखन कुंड भी था। उस कुंड के जल का प्रयोग भर क्षत्रिय राज परिवार के लोग करते थे। लखनऊ पर राज्य कर रहे शेखजादों ने इस कुंड में रंग बिरंगी मछलियों को पालते थे इसी कारण से उस कुंड का नाम मच्छी कुंड पड़ गया।
कालांतर में इसी स्थान पर 26 द्वार के एक दिव्य भवन का निर्माण कराये थे जिसके प्रत्येक द्वार पर मछलियों का एक जोड़ा का भी निर्माण कराया गया था। इसी कारण भवन का नाम मच्छी भवन रखा गया था। इतिहास के पन्नों में अंकित है कि सैयद सालार मसूद गाजी ने जब लखनऊ पर हमला किया उसके प्रमुख सेनापति सैयद हातिम और सैयद खातिम ने राजा लाखन के राज्य की सीमा पर स्थित गढ़ी बिजनौर में अपना पड़ाव डाला था। यहीं के गुप्तचरों के माध्यम से किले की सारी गतिविधियों की जानकारी किया और तय किया गया था कि राजा लाखन भर और कसमंडी के राजा कंस भर दोनों मित्र हैं दोनों पर एक ही दिन हमला किया जाय ताकि वह एक दूसरे की मदद न कर सके। उस समय की गाजी मियां और राजभरों की लड़ाई राजपाट की थी। क्योंकि राजभरों के पास बहुत ज्यादा संपत्ति हुआ करती थी।
जैसा औरंगजेब के भाईयों के प्रति था। परिणाम स्वरूप दोनों भर क्षत्रिय राजाओं पर सैय्यद सालार मसूद गाजी की फौज ने ठीक होली के दिन हमला किया । हमला उस समय रात को किया जब राजा लाखन राजभर अपने दुर्ग में होली खेल कर आराम कर रहे थे।
होली के पर्व को मना कर उनके सिपाही भी आराम कर रहे थे।और यह बात प्रचलित है कि भर महाराजा होली के दिन तलवार की पूजा करते थे और उस दिन तलवार नहीं उठाते थे। और डरपोक कायरों ने उसी दिन का फायदा उठा और किले पर अचानक आक्रमण कर दिया यह समाचार सुनकर राजा घोड़े पर सवार होकर फौज के साथ रण भुमि में जा डटे। महाराजा लाखन राजभर के सभी सैनिक नशे में चूर थे। फिर भी युद्ध भूमि में जा कर डटे रहे भर राजाओ में एक खासियत थी।भले कुछ भी हो जाए लेकिन रणभूमि में जाने से पीछे नहीं हटते थे। इनका एक ही मकसद था प्राण जाए पर वचन न जाए। यह युद्ध बड़ा भयंकर था इसमें भीषण रक्तपात हुआ। राजा लाखन के सैनिक गाजी की सेना पर भूखे शेर की भांति टूट पड़े। कुछ छड़ के लिए सैयद सलार गाजी भयभीत हो गया था। उसे लगा की हम यह युद्ध जीत नहीं पाएंगे लेकिन मसूद की सेना में सभी घुड़सवार थे, उन्होंने राजा लाखन भर को चारो ओर से घेर लिया फिर भी राजा लाखन भर मोर्चा संभाले रहे। उन पर तलवार के हमले किये जा रहे थे
यह हमला बड़ा ही भयानक था धोखे से गाजी के एक सैनिक ने पीछे से राजा की गर्दन पर तलवार मार दिया। राजा लाखन का सर कट कर लुढ़कता हुआ जा गिरा। इस भीषण लड़ाई के बाद उस जगह का नाम सरकटा नाला पड़ा ।
चौपटिया नामक स्थान पर स्थित अकबरी दरवाजे के पास ही युद्ध हुआ था। जिस समय राजा का धड़ सर से अलग हुआ था। उस समय सर कटने के बाद भी भर राजा, दोनों हाथों में तलवार लिए घोड़े पर सवार भयानक युद्ध कर रहे थे, गाजी के तमाम सैनिकों को गाजर मूली की तरह काट दिया भर इतने ताकतवर और वीर योद्धा होते थे कि सामने से किसी की हिम्मत नहीं होती थी लड़ने की, इसलिए भर योद्धाओं को जो भी हमलावर हमला किया, वह धोखे से ही किया, बिना सर से धड़ की करामात देख गाजी के सैनिक भी घबरा गए थे। ऐसे बहादुर थे राजा वीर शिरोमणि लाखन राजभर
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