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मछलीशहर राजा घीसू राजभर का इतिहास

Raja Ghisu Bhar


Jaunpur: a Gazetteer being volume XXVIII of the District Gazetteers of the United Provinces of Agra and Oudh के पेज नंबर 273 पर लिखा है की शहर को पहले घिसवा के नाम से जाना जाता था और माना जाता है कि इसका नाम घीसू के नाम पर पड़ा, जो एक भर सरदार थे। जिसे राजभर भी कहा जाता है जिसने इस जगह की स्थापना की और मूल किला बनवाया।

राजा घीसु राजभर का किला 

यह घीसू राजभर का किला जौनपुर मछली शहर रोड से बरेपार रोड पर स्थित है इसका गुम्बज बहुत उचाई पर आज भी द्रिष्टिगोचर दिखाई पड़ता है यह किला 500 एकड़ मे फैला हुआ है । इस किले के चारो तरफ खाई थी इस किले में काफी खजाना गड़ा हुआ था स्थानीय निवासी विजयपाल यादव बताते हैं की एक रात एक नट शहद निकाल रहा था तभी उसके लोहे का रम्मा जमीन पर गिरा और बड़े जोर से ठन कि आवाज आई जब नट ने जमीन की थोड़ी सी खुदाई की तो धन से भरा हुआ घड़ा उसे मिला उसी धन से नट काफी धनी हो गया । आज उस जमीन पर यादव समाज के लोग खेती करते हैं ।

 मछली-शहर या मछलियों के शहर की व्युत्पत्ति अज्ञात है, लेकिन संभवतः इसकी उत्पत्ति बाढ़ से हुई है जो निचले इलाकों में बहुत आम है। संभवतः यह फिर से एक अपभ्रंश है, जिसका सुझाया गया अर्थ "बीच का शहर" है, अर्थात बादशाहपुर और जौनपुर के बीच, हालांकि यह बहुत दूर की कौड़ी लगता है। हालांकि, स्थानीय किंवदंती है कि शर्की राजाओं में से एक को इस जगह के एक फ़कीर ने भाग्य के लिए एक मछली भेंट की थी, और जिस अभियान पर वह लगा हुआ था, उसके सफल समापन पर उसने शहर का नाम मछलीशहर रख दिया।


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