डीह गड़वार जौनपुर के राजा केरारवीर राजभर
14 वीं 15वीं शताब्दी में उत्तर प्रदेश के जिला कौशांबी के भरवारी से लेकर आजमगढ़ तक राजा केरारवीर राजभर का राज्य था। राजा केरारवीर राजभर की राजधानी डीह गड़वार जौनपुर थी। राजा केरारवीर राजभर अपने राज्य को अजेय बनाने के लिए अपने राज्य में "किलो" (FORT) का निर्माण करवाकर प्रत्येक किले के शासन व्यवस्था की देखरेख की जिम्मेदारी अपने स्वजनों को दिये थे।
राजा केरारवीर राजभर द्वारा बनवाए गए किलों के स्थान तथा किलों के शासकों के नाम निम्न है
1) महावीर राजभर : पडरी का किला
2) सीहावीर राजभर : रामनगर किला
3) तितलीवीर राजभर तितलीपुर (डोमपुर कठार)
4) कोयलियावीर् : मन्दरहा
5) केरारवीर राजभर
जौनपुर
जौनपुर शहर में गोमती नदी के उत्तरी तट पर निर्मित किला केरारवीर राजभर का ही किला है जिसे फिरोजशाही किले के नाम से वर्तमान में जाना जाता है। क्योंकि फिरोजशाह तुगलक ने सन 1766ई में जौनपुर के शासक केरारवीर किले का इस्लामीकरण करवा दिया। तदनंतर केरारवीर राजभर के किले का फिरोजशाह के किले के नाम से जाना जाता है।
राजभर जातिद्रोही, धर्मद्रोही तथा देशद्रोह वामपंथी इतिहासकारों ने जौनपुर गजट में लिखा है कि केरारवीर राक्षस थे। उनको अयोध्या के राजा भगवान श्री राम ने मारा था। जौनपुर गजट सत्य को छिपने के लिए लिखी गई है ताकि देश को कभी भी सत्य की जानकारी न हो सके। शर्की मॉन्यूमेंट में फ़सूद्दीन साहब ने लिखा है कि मध्यकालीन भारत में केरारवीर राजभर "राजभर जाती" के सामंत थे।
श्री बैजनाथ राय ने जौनपुर के इतिहास के बारे में लिखा है की राजभरों का शासन जौनपुर से समाप्त होने के बाद जौनपुर पर इब्राहिमशाह का शासन हो गया तथा डीह गड़वार परगना पर दुर्गवंशियों का शासन हो गया।
मुस्लिम आक्रांताओं तथा दुर्गवंशियों द्वारा राजभरों पर अत्यधिक अत्याचार होने के बाद राजभर समाज के बचे हुए लोग अपनी जान बचाने के लिए अन्य जातियों में सम्मिलित हो गए। बहुत से लोग अपनी जान पहचान छिपाने के लिए इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिए। डीह गड़वार में होली के दिन राजभर समाज के लोग होली का पर्व मनाने के लिए संगठित हुए। डीह गड़वार में बहुत विशाल होली का त्यौहार मनाने का आयोजन किया गया था।
राजा केरारवीर राजभर की सभा लगी हुई थी नाचने गाने का कार्यक्रम हो रहा था। राजभर समाज के लोग दारू, गांजा, भांग पीकर होली का आनंद ले रहे थे। दारू, गांजा, भांग का नशा जब राजभरों पर होने लगा तब राजभर समाज के लोग जगह जगह पर मदहोश होने लगे। उसी समय दुर्गादास राठौर अपनी सेना लेकर डीह गड़वार पर हमला कर दिया। होली के दिन डीह गड़वार में हुए हमलों में राजभरों को बड़ी संख्या में जान से मार दिया गया। कई दिनों तक राजभर समाज को खोज खोज कर जान से मार दिया गया। यही कारण है कि जौनपुर से भरवारी कौशांबी तक राजभरों को शामिल नष्ट कर दिया गया।
इस अंचल में राजभरों पर सभी हमले अधिकतर होली के दिन ही किए गए क्योंकि राजभर समाज के लोग होली के दिन मदिरापान करके अय्याशियों में डूबे रहते हैं।
दुर्गवंशियों के इतिहास से प्राप्त जानकारी के अनुसार राजभरों का मदिरा पान करना व होली मनाना दुर्भाग्यपूर्ण है तथा संपूर्ण समाज के लिए मद्य पान करना व होली मनाना कलंक है। अधिक जानकारी के लिए आपका डीह गड़वार जाना आवश्यक है।
विशेषः
राजा केरारवीर राजभर के धराशाई राजमहल में निर्मित
राजा केरारवीर का मंदिर है। अगहन महीने में प्रत्येक मंगलवार को मेला लगता है। दूर दूर से भक्त गण आकर राजा केरारवीर की पूजा करते हैं।
राजा कारोवीर राजभर मंदिर का स्थान :
ग्रामः डीह गड़वार
पोस्टः प्रेमका पुराँ
विकासखंडः सुजानगंज
जिला जौनपुर उत्तर प्रदेश
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