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लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के 10 अनमोल विचार-राजभर इन इंडिया




जीवन परिचय


पटेल का जन्म नडियाद, गुजरात में एक लेवा पटेल(पाटीदार) जाति में हुआ था। वे झवेरभाई पटेल एवं लाडबा देवी की चौथी संतान थे। सोमाभाई, नरसीभाई और विट्टलभाई उनके अग्रज थे। उनकी शिक्षा मुख्यतः स्वाध्याय से ही हुई। लन्दन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होने भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लिया।

स्वतंत्र भारत के उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल  (31 अक्टूबर 1875-15 दिसंबर 1950), जो सरदार पटेल के नाम से लोकप्रिय थे, एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वे एक भारतीय अधिवक्ता और राजनेता थे, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और भारतीय गणराज्य के संस्थापक पिता थे जिन्होंने  देश की आजादी में अहम  योगदान दिया था। आजादी से पहले हमारा देश छोटे-छोटे 562 देशी रियासतों में बंटा था। वे सरदार पटेल ही थे जो इन छोटे रियासतों का विलय करवा भारत को एकता के सुत्र में पिरोया था। इस काम को करना कोई आसान काम नहीं था। सरदार पटेल को इस काम को करने में काफी चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा। उन्होंने एक के बाद एक रियासत को एक साथ लाने के लिए अपनी सारी बुद्धि और अनुभव का इस्तेमाल किया। भारत को एक राष्ट्र बनाने में वल्लभ भाई पटेल की खास भूमिका है। प्रतिभा के धनी सरदार पटेल के विचार आज भी लाखों युवाओं को प्रेरणा देते हैं। 

विचार नम्बर 1




आज हमें ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-पाति के भेदभावों को समाप्त कर देना चाहिए।

विचार नम्बर 2




इस मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है।

 विचार नम्बर 3



मनुष्य को ठंडा रहना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए। लोहा भले ही गर्म हो जाए, हथौड़े को तो ठंडा ही रहना चाहिए अन्यथा वह स्वयं अपना हत्था जला डालेगा। कोई भी राज्य प्रजा पर कितना ही गर्म क्यों न हो जाये, अंत में तो उसे ठंडा होना ही पड़ेगा।

विचार नम्बर 4




शक्ति के अभाव में विश्वास व्यर्थ है। विश्वास और शक्ति, दोनों किसी महान काम को करने के लिए आवश्यक हैं।

विचार नम्बर 5




आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आंखों को क्रोध से लाल होने दीजिये, और अन्याय का सामना मजबूत हाथों से कीजिये।

विचार नम्बर 6




अधिकार मनुष्य को तब तक अंधा बनाये रखेंगे, जब तक मनुष्य उस अधिकार को प्राप्त करने हेतु मूल्य न चुका दे।

विचार नम्बर 7



आपको अपना अपमान सहने की कला आनी चाहिए।

विचार नम्बर 8




मेरी एक ही इच्छा है कि भारत एक अच्छा उत्पादक हो और इस देश में कोई अन्न के लिए आंसू बहाता हुआ भूखा ना रहे।

विचार नम्बर 9



जब जनता एक हो जाती है, तब उसके सामने क्रूर से क्रूर शासन भी नहीं टिक सकता। अतः जात-पात के ऊंच-नीच के भेदभाव को भुलाकर सब एक हो जाइए।

विचार नम्बर 10



संस्कृति समझ-बूझकर शांति पर रची गयी है। मरना होगा तो वे अपने पापों से मरेंगे। जो काम प्रेम, शांति से होता है, वह वैर-भाव से नहीं होता।

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