Header Ads

Maharaja Suheldev Rajbhar । महाराजा सुहेलदेव राजभर । Biography Of Suheldev Rajbhar

 


आज हम ऐसे राजा के बारे में बात करेंगे जो विदेशी आक्रांता सैयद सालार मसूद गाजी को 11वी शताब्दी में पराजित कर मार डाला था जिसके बाद 200 साल तक किसी विदेशी आक्रांता ने आक्रमण करने की हिम्मत नहीं की। उस राजा का नाम था चक्रवर्ती सम्राट राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव राजभर।


Maharaja Suheldev Rajbhar । महाराजा सुहेलदेव राजभर


Biography Of Suheldev Rajbhar :महाराजा सुहेलदेव राजभर श्रावस्ती के अर्ध-पौराणिक भारतीय हिन्दू राजा थे। उन्होंने 11वीं शताब्दी की शुरुआत में बहराइच में सैयद सालार मसूद गाजी को पराजित कर मार डाला था। 17वीं शताब्दी के फारसी भाषा के ऐतिहासिक कल्पित कथा मिरात-ए-मसूदी में उनका उल्लेख है।


श्रावस्ती सम्राट राष्ट्रीय वीर महाराजा सुहेलदेव राजभर का जन्म 1009 ई. को बहराइच में बसंत पंचमी के दिन हुआ था। इनके पिता का नाम बिहारीमल और माता का नाम जयलक्ष्मी था। महाराजा सुहेलदेव राजभर के अलावा तीन भाई और एक बहन थी। जिनका नाम रुद्रमल, बागमल,  सहारमल या भूरादेव तथा पुत्री अंबे देवी। महाराजा सुहेलदेव राजभर की शिक्षा-दीक्षा योग्य गुरुजनों के बिच संपन्न हुई।


अपने पिता बिहारीमल एवं राज्य के योग्य युद्ध कौशल विद्वानों की देखरेख मे महाराजा सुहेलदेव राजभर ने युद्ध कौशल, घुड़सवारी, सदवेदी वाण चलाना आदि की शिक्षा ली, महाराजा सुहेलदेव राजभर की बहुमुखी प्रतिभा एवं लोकप्रियता को देख कर मात्र 18 वर्ष की आयु मे सन् 1027 ई. को राज तिलक कर दिया गया और राजकाज मे सहयोग के लिए योग्य तथा राज्य की सुरक्षा के लिए योग्य सेनापति नियुक्त कर दिया गया।


महाराजा सुहेलदेव राजभर का साम्राज्य

महाराजा सुहेलदेव राजभर का साम्राज्य उत्तर मे नेपाल से लेकर दक्षिण मे कौशाम्बी तक तथा पूर्व मे वैशाली से लेकर पश्चिम मे गढ़वाल तक फैला था। महाराजा सुहेलदेव राजभर का साम्राज्य 1027 ई. से लेकर 1077 ई. तक रहा।

सैयद सालार मसूद गाजी और महाराजा सुहेलदेव राजभर का युद्ध

मुगल सम्राट जहांगीर (1605-1627) के शासनकाल के दौरान अब्द-उर-रहमान चिश्ती के द्वारा लिखी मिरात- ए- मसूदी के अनुसार महमूद गजनवी के भांजा सैयद सालार मसूद गाजी ने 16 वर्ष की आयु में सिंधु नदी को पार कर भारत पर आक्रमण किया और मुल्तान, दिल्ली, मेरठ और अंत में सतरिख पर विजय प्राप्त की। सतरिख में उन्होंने अपने मुख्यालय की स्थापना की और स्थानीय राजाओं को हराने के लिए सेनाओं को भेज दिया।


सैयद सैफ-उद-दीन और मियाँ राजब को बहराइच भेज दिया गया था। बहराइच के स्थानीय राजा और अन्य पड़ोसी हिंदू राजाओं ने एक संघ का गठन किया लेकिन सैयद सालार मसूद गाजी के पिता सालार साहू  के नेतृत्व में सेना ने उन्हें हरा दिया। उसके पिता सालार साहू का 4 अक्तूबर 1032 को सतरिख में निधन हो गया। उसके बाद सन् 1033 में मसूद खुद बहराइच में उनकी प्रगति को जाँचने आया। सुहेलदेव राजभर के आगमन तक मसूद ने अपने दुश्मनों को हर बार हराया। अंत में सन् 1034 में सुहेलदेव राजभर की सेना ने मसूद की सेना को एक लड़ाई में हराया और मसूद की मौत हो गई।


महाराजा सुहेलदेव राजभर किस जाति के थे।

महाराजा सुहेलदेव राजभर 17वीं शताब्दी के फारसी भाषा के ऐतिहासिक कल्पित कथा मिरात- ए- मसूदी के अनुसार सुहेलदेव "भर थारू" समुदाय से संबंधित थे। उसके बाद के लेखकों ने उनकी जाति को "भर राजपूत",  राजभरथारू और जैन राजपूत के रूप में वर्णित किया है।
बहराइच गजेटियर में राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव राजभर


बहराइच गजेटियर 278 पेज पढने के बाद पता चला कि भरों के बारे मे अलग अलग तथ्यों तथा अनेक राजभर राजाओं का इतिहास का उल्लेख 11 बार किया गया है जिसमें बहराइच गजेटियर पेज 116 तथा 117 मे महाराजा सुहेलदेव राजभर को 'भर' जाति का बताया गया है। तथा महाराजा सुहेलदेव जी को कुछ भर राजपूत भी मानते है जिससे लेखकों ने भरों से इनका तालुकात मानते है।


वर्तमान में महाराजा सुहेलदेव राजभर के नाम पर क्या है।

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी भारत के मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में एक राजनीतिक क्षेत्रीय पार्टी है। इसकी स्थापना श्री ओमप्रकाश राजभर के नेतृत्व में सन् 2002 में महाराजा सुहेलदेव राजभर जी के नाम पर हुई थी। पार्टी का मुख्यालय वाराणसी जिले के फतेहपुर गांव में है। पार्टी का पीला ध्वज और छड़ी चुनाव चिन्ह है। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में भर/राजभर जाति की राजनीतिक आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के ख्याल से इसकी स्थापना की गई। इसका केन्द्रीय कार्यालय बलिया ज़िला के मिरनगंज रसड़ा में स्थित है।


सुहेलदेव सुपरफास्ट एक्सप्रेस

महाराजा सुहेलदेव राजभर जी के नाम पर ही सुहेलदेव  सुपरफास्ट एक्सप्रेस आनंद विहार टर्मिनल रेलवे स्टेशन से गाजीपुर सिटी उत्तरी रेलवे से जुड़ी एक सुपरफास्ट ट्रेन चलाई गई। जो भारत में गाजीपुर शहर और आनंद विहार टर्मिनल के बीच चलती है। यह वर्तमान में 22419/22420 ट्रेन नंबरों के साथ सप्ताह के आधार पर चार दिनों के साथ संचालित किया जा रहा है।


महाराजा सुहेलदेव राजभर पर डाक टिकट जारी

29 दिसंबर 2018 को माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा गाजीपुर में महाराजा सुहेलदेव राजभर के नाम पर डाक टिकट जारी किया गया था। महाराजा सुहेलदेव 11वीं सदी में श्रावस्ती के सम्राट थे। सुहेलदेव ने महमूद गजनवी के भांजे सालार मसूद को मारा था। भर/राजभर जाति के लोग उन्हें अपना वंशज मानते हैं।


मेडिकल कॉलेज और स्मारक का शिलान्यास

11वीं शताब्दी के प्रतापी शासक व पराक्रमी योद्धा महाराजा सुहेलदेव राजभर के जयंती (16 Feb 2021) के शुभ अवसर पर चित्तौरा स्थित उनके स्मारक एवं चित्तौरा झील के विकास की योजना का शिलान्यास एवं महाराजा सुहेलदेव स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय का लोकार्पण  माननीय योगी आदित्यनाथ (उत्तर प्रदेश सरकार ) के तत्वावधान में माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने वर्चुअल तरीके किया था।



12 टिप्‍पणियां:

  1. संदर्भ संख्या : 15191210070781 , दिनांक - 24 Nov 2021 तक की स्थिति
    आवेदनकर्ता का विवरण :
    शिकायत संख्या:-15191210070781
    आवेदक का नाम-पंचम राजभरविषय-वन्‍य जीव व‍िहार का नाम परिवर्त‍ित किये जाने के संबंध में।
    विभाग -पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन विभागशिकायत श्रेणी -
    नियोजित तारीख-24-11-2021शिकायत की स्थिति-
    स्तर -शासन स्तरपद -अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव
    प्राप्त रिमाइंडर-
    प्राप्त फीडबैक -दिनांक को फीडबैक:-
    फीडबैक की स्थिति -
    संलग्नक देखें -Click here
    नोट- अंतिम कॉलम में वर्णित सन्दर्भ की स्थिति कॉलम-5 में अंकित अधिकारी के स्तर पर हुयी कार्यवाही दर्शाता है!
    अधीनस्थ द्वारा प्राप्त आख्या :
    क्र.स. सन्दर्भ का प्रकार आदेश देने वाले अधिकारी आदेश/आपत्ति दिनांक आदेश/आपत्ति आख्या देने वाले अधिकारी आख्या दिनांक आख्या स्थिति संलगनक
    1 आख्या श्री संजय प्रसाद (प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय ) 22-10-2021 कृपया परीक्षणोपरान्‍त शीघ्र समुच‍ित कार्यवाही कर अवगत कराये जाने की अपेक्षा की गयी है। अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव -पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग 16-11-2021 शासन स्तर से अनुमोिदत निस्तारित
    2 आख्या अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव (पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ) 26-10-2021 नियमनुसार आवश्यक कार्यवाही करें प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष -वन 12-11-2021 महोदय, आख्या निस्तारित हेतु प्रेषित है। निस्तारित
    3 आख्या प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष (वन ) 27-10-2021 आवश्यक कार्यवाही करने का कष्ट करें एवं आख्या प्रेषित करें मुख्य वन संरक्षकजोन -पूर्वी गोंडा 10-11-2021 प्रभागीय वनाधिकारी सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग, बलरामपुर के द्वारा उपलब्ध करायी जांच आख्या के आधार पर उक्त शिकायत निक्षेप किये जाने योग्य है। अतः उक्त शिकायत को निक्षेपित करने का कष्ट करे। निस्तारित
    4 आख्या प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष (वन ) 08-11-2021 मुख्य वन संरक्षक महोदय, प्रकरण में पुनः अपनी स्पष्ट संस्तुति के साथ पूर्ण आख्या उपलब्ध कराने का कष्ट करें। मुख्य वन संरक्षकजोन -पूर्वी गोंडा 03-11-2021 प्रभागीय वनाधिकारी, सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग, बलरामपुर के द्वारा उपलब्ध करायी जांच आख्या के आधार पर शिकायत निक्षेप किये जाने योग्य है। अस्वीकृत

    जवाब देंहटाएं
  2. प्रतिष्ठामें,
    माननीय वन मंत्री जी
    उ प्र शासन लखनऊ
    विषय- शासनादेशानुसार राजकीय अभिलेखों में सोहेलवा के स्थान पर उल्लिखित शुद्ध नाम *सुहेलदेव वन्य जीव विहार बलरामपुर* का अनुपालन हेतु विभागीय स्तर पर लेखन, सम्बोधित, संबोधन,उदबोधन किये जाने के संबंध में -
    महोदय,
    कृपया उपर्युक्त विषयक के संबंध में आई जी आर एस प्रत्यावेदन सं 15191210070781 दिनांक 27/10/2021 के निस्तारण का प्रमुख वन संरक्षक(प्रशासन)उ प्र के जांच आख्या पत्र दिनांक 12 नवम्बर 2021 के साथ मुख्य वन संरक्षक पूर्वी क्षेत्र गोंडा के संलग्नक जांच आख्या पत्र सं 799/16-13(आई जी आर एस) दिनांक 8 नवम्बर 2021 के प्रस्तर 3 का सन्दर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें ,जिसमें स्पष्ट किया गया है कि वर्तमान उक्त संरक्षित क्षेत्र राजकीय अभिलेखों में *सुहेलदेव वन्य जीव विहार* के नाम से सम्बोधित किया जाता है अर्थात उल्लिखित है ! परंतु प्रभाग द्वारा संबोधन हेतु *सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग बलरामपुर* (विसंगतिपूर्ण ,अशुद्ध नाम)का उदबोधन किया जाता है ! जिससे स्पष्ट प्रतीत होता है कि शासनादेश दिनांक 8 जुलाई 2002 के अनुसार अशुद्ध नाम सोहेलवा के स्थान पर संशोधित शुद्ध नाम सुहेलदेव के नाम का अनुप्रयोग प्रभाग द्वारा संबोधन व उदबोधन नहीं किया जा रहा है जो कि स्पष्ट रूप से अद्यतन क्षेत्रीय विभागीय स्तर पर उच्च आदेश का उल्लंघन किया जाना प्रतीत होता है ! जिससे आमजनमानस में राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव राजभर जी द्वारा किये गए राष्ट्रीय योगदान के बावत उनके प्रति अमर्यादित नाम सोहेलवा उदबोधन किये जाने से निराशा की भावना बलवती हो रही है ! सूच्य है कि जब तक पूर्व में दिए गए प्रत्यावेदन में अनुरोधित संशोधित नामकरण *राष्ट्रवीर सुहेलदेव राजभर वन्य जीव विहार बलरामपुर* विषयक पर शासन द्वारा नीतिगत निर्णय प्रलंबित है तब तक विभागीय शासकीय उच्च आदेश दिनांक 8 जुलाई 2002 के अनुसार शुद्ध नाम सुहेलदेव के नाम से लेखन,संबोधन,उदबोधन,कर सम्बोधित किया जाना सर्वथा न्यायसंगत प्रतीत होता है !
    अतएव आपसे प्रबल अपेक्षा है कि प्रामाणिक अभिलेखों व जनभावनाओं के अनुरूप पूर्व में दिए गए प्रत्यावेदन में निवेदित प्रकरण पर शासन द्वारा नीतिगत निर्णय की प्रत्याशा में तब तक अद्यतन निर्गत दिनांक 8 जुलाई 2002 के शासकीय आदेश का अनुपालन सुनिश्चित किये जाने हेतु तत्सम्बन्धित को आदेशित करने का कष्ट करें !
    आभारी रहूंगा कि वस्तुस्थिति से मुझे भी अवगत कराने का कष्ट करेंगे !
    सम्मान सहित -
    प्रतिलिपि - 1-मुख्य सचिव महोदय उ प्र शासन लखनऊ -2 - अपर मुख्य सचिव वन विभाग उ प्र शासन 3- मुख्य वन संरक्षक उ प्र - 4-मंडलायुक्त महोदय ,देवीपाटन मंडल जिलाधिकारी बलरामपुर को सादर यथोचित कार्यवाही हेतु सम्प्रेषित !
    संलग्नक - उपरोक्तानुसार
    भवदीय
    डॉ पंचम राजभर
    Ex -सम्पादक - सुहेलदेव स्मृति मा प - आवास - दुबरा बाजार ,बरदह जनपद -आज़मगढ़ उ प्र 276301 -
    9889506050- 9452292260

    जवाब देंहटाएं
  3. *भारत सरकार*
    Government of India
    कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय
    Ministry of Personnel, Public Grievances & Pensions
    CPGRAMS
    Grievance Status for registration number : *PMOPG/E/2021/0561438*
    Grievance Concerns To
    Name Of Complainant
    Dr Pancham Rajbhar
    Date of Receipt
    *04/11/2021*
    Received By Ministry/Department
    *Prime Ministers Office*
    Grievance Description
    *अनुस्मरण पत्र तृतीय*
    प्रतिष्ठामें,
    मा मानव संसाधन विकास मंत्री जी
    भारत सरकार
    नई दिल्ली
    विषय - -राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव राजभर जी के जीवन वृतांतों को पाठ्य पुस्तकों में नवीन समाविष्ट किये जाने के संबंध में -- तृतीय -अनुस्मरण पत्र -
    महोदय ,
    कृपया उपर्युक्त विषयक का मा प्रधानमंत्री जी/ मा मानव संसाधन विकास मंत्री जी भारत सरकार को मेरे ऑनलाइन प्रत्यावेदन रजि सं *PMOPG/E/2021/0171050 दिनांक 05 मार्च 2021* का सन्दर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें ! जिसमें 11 वीं सदी के राष्ट्रनायक तत्कालीन श्रावस्ती के भारशिव नागवंशी सम्राट भर समाज कुलगौरव वीर शिरोमणि राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव राजभर जी के देश की एकता अखंडता व उसकी संस्कृति सभ्यता एवं राष्ट्र धर्म/मानव /सनातन धर्म के प्रति किये गए राष्ट्रीय योगदान को दृष्टिगत रखते हुए उनके जीवन वृतांतों को सरकार द्वारा मान्य पाठ्य पुस्तकों के विषय सामग्री में शामिल किए जाने का अनुरोध निवेदित है ! जो कि अभी तक प्रलंबित है !
    कृपया उक्त के संबंध में अनुरोधित प्रत्यावेदन में अद्यतन की गई कार्यवाही से मुझे भी अवगत कराने की कृपा करें ! आपकी अति कृपा होगी !
    सम्मान सहित
    भवदीय
    डॉ पंचम राजभर
    Ex - सम्पादक ,सुहेलदेव स्मृति मा प
    आवास - दुबरा बाजार ,बरदह जनपद आज़मगढ़ उ प्र 276301
    *Current Status*
    Case closed
    Date of Action
    *22/11/2021*
    Remarks-- ----------👇👇👇
    Forwarded for necessary action please 👆🏻👆🏻👆🏻👆🏻👆🏻
    Officer Concerns To
    Officer Name
    *Shri Sankha Roy*
    Officer Designation
    *Deputy Secretary*
    Contact Address
    Room No. 105 D Wing,👇👇 Department of School Educatio n and Literacy, Ministry of Human Resource Develo pment,Shastri Bhawan New Delhi
    Email Address
    [email protected]
    Contact Number-01123385479

    जवाब देंहटाएं
  4. https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2034150166745830&id=100004525982420&sfnsn=wiwspwa

    जवाब देंहटाएं
  5. भारत सरकार
    Government of India
    कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय
    Ministry of Personnel, Public Grievances & Pension
    Grievance Status for registration number : *PMOPG/E/2019/0622081*
    Grievance Concerns To
    Name Of Complainant
    Pancham Rajbhar
    Date of Receipt
    19/10/2019*
    Received By Ministry/Department
    *Prime Ministers Office*
    Grievance Description
    प्रतिष्ठा में,
    माननीय प्रधानमंत्री जी
    भारत सरकार
    नई दिल्ली
    विषय :-श्रावस्ती सम्राट भारशिव नागवंशीय *भर समाज* कुलगौरव राष्ट्रवीर सुहेलदेव राजभर जी के स्मृति में सरकारी तौर पर जनपद का नामकरण करने के सम्बंध में -
    मान्यवर,
    आप अवगत ही हैं कि भारत सरकार व राज्य सरकारों द्वारा देश हित में किये गए राष्ट्रीय योगदान को दृष्टिगत रखते हुए तमाम शूरवीर अमर सपूतों/महापुरुषों को ऐतिहासिक/सांस्कृतिक ,सामाजिक रूप से *चिरकाल* तक यादगार के लिए उनके *जीवनवृतांतों* सहित सुकृत्यों को जन जन तक राष्ट्र/समाज हित में प्रेरणादायक बनाने के लिए शैक्षणिक संस्थानों ,प्रतिष्ठित ऐतिहासिक सार्वजनिक स्थलों ,जनपदों आदि का *नामकरण* कर उनके राष्ट्रीय योगदान के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं उक्त के क्रम में सादर आपका ध्यान *11 वी सदी* के राष्ट्रनायक तत्कालीन श्रावस्ती के सम्राट *भर समाज* कुलभूषण राष्ट्रवीर महाराजा *सुहेलदेव राजभर* जी का *अखंड भारत* की संस्कृति, सभ्यता की रक्षा के लिए *राष्ट्रीय क्षितिज* पर किये गए *योगदान /महत्व* की अब तक की गई *उपेक्षा* की तरफ आकृष्ट कराना चाहता हूँ कि तत्समय भारत देश मे *कट्टर, धर्मांध ,आतंक का पर्याय* विदेशी लुटेरा *सैयद सलार मोहम्मद गाज़ी मियां* जिसने अपनी क्रूरता,निर्दयता व बहसीपन के बल पर देश को रौंदते कत्लेआम करते हुए श्रावस्ती राज्य सीमा पर आक्रमण किया तो ऐसे समय मे जब कोई *भारतीय शासक* उस आतंकी को नही रोक तो उस समय श्रावस्ती नरेश ने अपने विलक्षण अनोखी युद्ध कौशल *व्यूह रचना* से उसे लाखों सैनिकों सहित परास्त उसका *वध* किया जिसके फलस्वरूप किसी भी *विदेशी आक्रांता* की लगभग 159 वर्षों तक किसी की भी आंख उठाकर भारत की तरफ देखने की हिम्मत नहीं हुई ,परंतु खेदजनक है कि अबतक सभी सरकारों ने महाराजा जी के *राष्ट्रीय योगदान* को नजरअंदाज कर *घनघोर उपेक्षित* किया है, सूच्य है कि इसी तरह *राष्ट्रहित* में योगदान करने वाले तमाम अमर सपूतों,शूरवीरों,महापुरुषों, शासकों को आनेवाली पीढ़ी के *चिरकालीन स्मरण* एवं *प्रेरणाश्रोत* के लिए उनके प्रति राष्ट्र की तरफ से विभिन्न *स्मारकों,स्थलों* का *नामकरण* किया जाता रहा है जैसा कि तमाम महापुरुषों के नाम से विश्वविद्यालय, जिला,सार्वजनिक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक स्थलों आदि का *नामकरण* किया गया है !
    अतः आपसे प्रबल अनुरोध है कि *जनभावनाओं* के अनुरूप देश /समाजहित में *राष्ट्रीय धरोहर* के रूप में संरक्षित करते हुए उसी तरह से जैसे संत रविदास नगर ,संत कबीर नगर,पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर प्रयागराज आदि उसी तरह भारशिव नागबंशी *भर* कुल गौरव *श्रावस्ती नरेश* राष्ट्रवीर महाराजा *सुहेलदेव राजभर* जी के नाम से उनकी *जन्मस्थली/कर्मस्थली* बहराइच व अन्य जिले के नाम को परिवर्तित कर राष्ट्रवीर सुहेलदेव राजभर नगर *नाम रखने* का *नीतिगत* निर्णय लेते हुए तत्सम्बधित को आदेशित करने की कृपा करें जिससे कि उनके *अनुयायियों/वंशजो* आमजनमानस को उनके सुकृत्यों की याददाश्त बनकर राष्ट्रप्रेम/समाज प्रेम का आत्मविश्वाश पैदा होता रहे ! आभारी रहूँगा कि कृत कार्यवाही से हमें भी अवगत कराने की कृपा करेंगें !
    सम्मान सहित.
    भवदीय
    डॉ पंचम राजभर
    Ex ,राष्ट्रीय महासचिव ,
    अखिल भारतीय राजभर संगठन,
    आवास :-कुरथुवा ,सोनहरा ,बरदह जनपद आज़मगढ़ उ प्र 276301 drprajbhar1962@gmail, com
    Current Status। 👇👇👇👇👇
    Under process
    👆🏻👆🏻👆🏻👆🏻👆🏻
    Date of Action
    *04/11/2019*
    Officer Concerns To
    Officer Name
    *Shri Bhaskar Pandey*
    Officer Designation
    *Joint Secretary*
    Contact Address
    *Chief Minister Secretariat Room No.321 U.P. Secretariat, Lucknow*
    Email Address
    [email protected]
    Contact Number
    2226350

    जवाब देंहटाएं
  6. Send [email protected] - Email--26/12/2019-
    Word Press -Respond to this post by replying above this line
    New post on Site Title-
    1118-
    by drprajbhar(Dr Pancham Rajbhar)
    आदरणीय श्री अजय देवगन जी ,साभिवादन

    महोदय,
    यह जानकर अपार हर्ष हुआ कि आप जैसे प्रसिद्ध फ़िल्म कलाकार एक चर्चित लेखक श्री अमिश त्रिपाठी जी द्वारा लिखित पुस्तक बैटिल ऑफ बहराइच कहानी के आधार पर एक ऐसे महापुरुष के बारे में फ़िल्म बनाने के लिए तत्पर हैं जो 11 वीं सदी के भारतीय राष्ट्रनायक तत्कालीन श्रावस्ती राज्य के सम्राट भारशिव नागवंशी भर समाज के कुलगौरव महाराजा सुहेलदेव राजभर जी जिन्होंने तत्समय पूरे भारत के लिए धर्मान्धता व आतंक का पर्याय बना विदेशी दुर्दांत आक्रांता सैयद सलार मसऊद ग़ाज़ी मियाँ का लगभग एक लाख सैनिकों सहित अपनी विशेष युद्धनीति व रणकौशल से सेना सहित उसका भी बध किया ,वह भी ऐसे समय जब सलार मसूद पूरे देश के राजाओं को परास्त करते हुए अपने तलवार के बल पर इस्लाम धर्म को कबूल न करने वालों लोगो का सरेआम कत्लेआम कर अधीनता स्वीकार करने वालों को धर्म परिवर्तन कराते पूरे देश में हाहाकार मचाये था ! ऐसे आततायी का श्रावस्ती नरेश ने क्षेत्रीय राजाओं को एकजुट कर उनका नेतृत्व करते हुए निर्णायक युद्ध जीतकर राष्ट्रधर्म मानव धर्म व सनातन धर्म की रक्षा किया ! परंतु खेद है कि ऐसे महान शूरवीर पराक्रमी मानवीय धर्म रक्षक राष्ट्रभक्त के राष्ट्रीय योगदान की भारतीय समाज व इतिहासकारों/साहित्यकारों/लेखकों द्वारा उन्हें यथोचित सम्मान न देकर उनके वास्तविक जीवन वृतान्तों को दबाया व छिपाया गया !
    लेकिन यह प्रसन्नता का विषय है कि आप द्वारा ऐसे परम प्रतापी,कुशल देशभक्त के जीवन चरित्र सहित उनके सुकृत्यों को समाज के पटल पर आमजनमानस को देश भक्ति व समाजसेवा की प्रेरणा हेतु सबके समक्ष रखे जाने का सुंदर प्रयास किया जाना अत्यंत हर्ष का विषय है ! जिसके लिए आप साथियों सहित बधाई के पात्र हैं और निश्चित रूप से महाराजा सुहेलदेव राजभर के वंशज करोङो करोङों उनके अनुयायियों में प्रसन्नता की लहर है !
    आपसे सिर्फ एक अनुरोध है कि महाराजा सुहेलदेव जी के जीवन परिचय की कड़ी में कुछ अपुष्ट प्रमाणों के आधार पर कुछ भ्रांतियां पैदा करने की कोशिश अवांछनीय तत्वों द्वारा की गई है फिर भी वैसे तो किसी राष्ट्र के महापुरुष/राष्ट्रभक्त तो उस मातृभूमि सहित देश की धरोहर होते हैं तथा उन्हें किसी विशेष वर्ग,जाति के परिधि में नही रखा जा सकता है ऐसा विभक्त करना उनके राष्ट्रीय कद का अपमान है परंतु प्राचीन काल से ही इस देश मे वर्ण व्यवस्था के आधार पर जातियों में विखंडित प्रचलित मान्य प्रथाओं के अनुसार भारतीय सामाजिक व्यवस्था के विधान के अनुरूप उनके माता, पिता ,राज्य क्षेत्र , कुल,वंश ,जाति सामाजिक,राजनीतिक, सांस्कृतिक संरचना आदि के बारे कहीं कहीं साजिशन जानबूझकर कुछ अप्रामाणिक रूप से भिन्नता पैदा कर सामाजिक विद्वेष पैदा किया गया है जैसे कि महाराजा सुहेलदेव जी के जाति के संबंध में सभी प्रामाणिक अभिलेख में भारशिव नागवंशी भर/राजभर जाति का स्पष्ट रूप से उल्लेख कर बताया गया है लेकिन कुछ चंद चालक मगर धूर्त लोगो ने उन्हें बिना प्रमाण के ही कहीं कहीं अन्य जाति बताने का कुत्सित प्रयास कर समाज मे विघटन पैदा करने का दुस्साहस व भ्रम पैदा किया हैं ! जो कि अत्यन्त निंदनीय है !
    अतः आपसे आग्रह है कि प्रस्तावित फ़िल्म का निर्माण वास्तविकता के आधार पर करें हमारे जैसे उनके तमाम वंशजों की हार्दिक शुभकामनाएं आपके साथ इस आशय के साथ हैं कि वास्तविकता के आधार पर जीवन वृतान्तों का चित्रण करें !कृपया अपना कॉन्टैक्ट नंबर व ईमेल आईडी पुनः प्रदान करने का कष्ट करें ,जिससे कि आपको महाराजा के जीवन वृतान्तों के सम्बंध में प्रामाणिक अभिलेखों की प्रतियां भेजकर वस्तुस्थिति से आपको अवगत कराया जा सकें ! जिससे निर्विवाद रूप से कार्य संचालित होता रहे !इन्ही आशा व उम्मीद सहित सहयोग की अपेक्षा में, सद्भावना सहित
    भवदीय
    डॉ पंचम राजभर -सोशल एक्टिविष्ट/Ex- राष्ट्रीय महासचिव-अखिल भारतीय राजभर संगठन @पूर्व संपादक - सुहेलदेव स्मृति (मासिक पत्रिका)- आवास- कुरथुवा सोनहरा आज़मगढ़ उ प्र 276301/ मो 9889506050/9452292260 एमएल [email protected]

    जवाब देंहटाएं
  7. Grievance Status for registration number : PMOPG/E/2021/0279432
    Grievance Concerns To
    Name Of Complainant
    Pancham Rajbhar
    Date of Receipt
    24/04/2021
    Received By Ministry/Department
    Prime Ministers Office
    Grievance Description
    अनुस्मरणपत्र ---तृतीय
    प्रतिष्ठामें,
    माननीय संस्कृति मंत्री जी
    भारत सरकार
    नई दिल्ली
    विषय- भारशिव नागवंशी भर समाज कुलगौरव डलमऊ नरेश महाराजा डलदेव जी के प्राचीन राष्ट्रीय धरोहर किले,कोट,भग्नावशेष, स्मृतियां आदि के अवशेष को सरकारी संरक्षण में जीर्णोद्धार कर सुरक्षित रखे जाने के सम्बंध में -
    महोदय,
    सादर आपका ध्यान उ प्र के जनपद रायबरेली के तहसील/ब्लॉक/थाना डलमऊ में गंगा नदी के किनारे प्राचीन काल के *भारशिव नागवंशी भर जाति* के कुलभूषण *डलमऊ नरेश* महाराजा डलदेव जी के किले भग्नावशेष सहित पुरानी कलाकृतियां,सामाजिक,सांस्कृतिक, राजनीतिक आदि के चिन्ह,अवशेष आज भी विद्यमान हैं परंतु सरकारी संरक्षण व देखरेख के अभाव में स्थानीय चंद चालक व धूर्त लोगों द्वारा पुराने भूअभिलेखों,भौतिक स्थलों आदि में हेराफेरी कर अवैध ढंग से अतिक्रमण कर लिया गया है जो बदस्तूर जारी है ,इतना ही नही सरकारी गजेटियर (अवध गज़ेटियर 1877 वैल्युम 3 पृ 220 तथा डिस्ट्रिक्ट गजेटियर रायबरेली पृष्ठ 56,246) व जनश्रुतियों के प्रामाणिक तथ्यों के आधार पर उक्त किले का एक महत्वपूर्ण गौरवशाली इतिहास है जिसके मूल अस्तित्व व अवशेष को संरक्षित कर भावी पीढ़ी के स्मरण हेतु संयोजित किया जाना लोकहित में नितांत आवश्यक है जबकि पूर्व में भी मेरे द्वारा लिखित शिकायत सं PMOPG/E/2020/0444604 दिनाँक 23 मई 2020 अभी तक विलंबित है
    सूच्य है कि उक्त *डलमऊ का किला* के महत्व को देखते हुए देश विदेश के दार्शनिक,इतिहासकार, साहित्यकार, लेखक,शैलानी आदि प्रतिदिन आते जाते रहते हैं परंतु समुचित देखभाल व जिम्मेदारी के अभाव में जनता को काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है जबकि पुरातात्विक/ऐतिहासिक व प्राकृतिक दृष्टिकोण से उक्त मनोरम स्थल का जीर्णोद्धार कर सुंदरीकरण करते हुए पुरातात्विक पर्यटक स्थल बनाया जाय तो निश्चित रूप से सरकार को राजस्व की प्राप्ति भी होगी और एक पुरानी राष्ट्रीय धरोहर भी संरक्षित रहेगी जो आने वाली पीढ़ी के लिए यादगार होगी
    अतः आपसे प्रबल अनुरोध है कि सदियों से पुरानी संस्कृति व सभ्यता की स्मृति व संरक्षण के लिए किले का जीर्णोद्धार करते हुए विधिक तौर से विभागीय रूप से अधिग्रहित/संरक्षित कर असामाजिक तत्वों द्वारा अवैध ढंग से कब्जा की गई सम्पति हटाते हुए पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किये जाने हेतु तत्संबंधित को निर्देशित करने की कृपा करें
    सम्मान सहित
    भवदीय
    डॉ पंचम राजभर
    Ex- सम्पादक - सुहेलदेव स्मृति मा प -आवास - कुरथुवा पो सोनहरा जिला आज़मगढ़ उ प्र 276301 मोबाइल 9889506050/945229226
    Current Status
    Case closed
    Date of Action
    08/06/2021
    Remarks
    अधीनस्थ अधिकारी के स्तर पर निस्तारित महोदय प्रार्थना पत्र की अभिलेखीय एवं स्थलीय जॉच की गयी जिसमें कृत कार्यवाही से प्रार्थी को अवगत कराते हुऐ आख्या आपकी सेवा में सादर प्रेषित है

    जवाब देंहटाएं

Blogger द्वारा संचालित.