ओमप्रकाश राजभर का बीजेपी में जाने की कितनी सम्भावना है जानिए इस पोस्ट में, क्या शर्त पुरा होगा।
भाजपा से नजदीकियां बढ़ाते हुए ओमप्रकाश राजभर। ओपी राजभर पिछले माह से ही लगातार मीडिया मे रहे हैं। बार-बार भाजपा मे जाने के कयास लगाए जाते हैं और बार-बार वो खारिज करते हैं लेकिन अब ऐसा लगता हैं की आनेवाले 1-2 माह मे भाजपा के साथ चले जाएंगे।
उन्होने कुछ शर्त रखा हैं भाजपा मे जाने से पहले, आइए जानते हैं की क्या भाजपा उन शर्तो को पूरा कर पाएगी?
(1) मुख्यमन्त्री पद के लिए इस बार पिछड़ा वर्ग से किसी नेता का नाम ऐलान किया जाये।
क्या आदित्यनाथ आसानी से ऐसा होने देंगे? क्या भाजपा मे गुटबाजी नही हो जाएगा? क्या ओपी के लिए भाजपा इतनी जोखिम लेगी।
(2)महिलाओ के लिए 33% आरक्षण , यह मामला इतना आसान नही हैं क्योकि दलित, पिछड़ा और नारी विरोधी मानसिकता की सरकार भाजपा है ।
(3) यूपी मे शराबबंदी ,यह भी मुश्किल हैं,सभी राज्य नीतीश कुमार के जैसे मूर्खतापूर्ण फैसला लेकर राजस्व घाटा नही कराएंगे,और शराब की अवैध कारोबार गाँव-गाँव नही कराएंगे।
(4)तकनीकी शिक्षा , ये भी कठिन हैं इससे रोजगारपरक शिक्षा मिल जाएगी तो फिर गरीबो के बच्चे हुनरमंद हो जाएंगे तो धर्म के लिए कौन लड़ेगा?
(5)घरेलू बिजली बिल माफ करना, ये काम कुछ हद तक संभव है।
(6) समान शिक्षा, इससे अमीर गरीब के बच्चे समान शिक्षा पा लेंगे मेरिट बराबर हो जाएगा, फिर मेरिट की ढोल कौन पिटेगा।गरीब के बच्चे सरकारी मे हिन्दी माध्यम की पाठ्यक्रम पढ़े, अमीरों के इंग्लिश पढेंगे। सरकार आसानी से इस माँग को भी पूरा नही करेगी।
(7)निःशुल्क शिक्षा ,बड़े बड़े शिक्षा कारोबारी नाराज हो जाएंगे और सरकार ये जोखिम नही लेगी।
(8)ओबीसी की जातिगत जनगणना ,जनगणना अगर हो तो इसका श्रेय तमाम बहुजन नेताओ व समाजसेवियों को जाएगा, सिर्फ ओपी को नही।
(9)ओबीसी की 27% आरक्षण मे बंटवारा करके तीन भागो मे करना( 1) -पिछड़ा 7% (2)अति पिछड़ा 9% (3)सर्वाधिक पिछड़ा 11% मेरा मानना हैं इस बंटवारे से सर्वाधिक पिछड़ा की कटेगरी मे आनेवाली कुछ जातियो को फायदा जरूर होगा लेकिन इससे ओबीसी की सामाजिक एकता कमजोर होगी। 27% मे ही बंदरबाट करने से बेहतर हैं की 52% के लिए आप 52% की मांग कीजिए अगर मांगना ही चाहते हैं तो।
इन मांगो को भाजपा नही मानेगी और बिना इन मांगो के पूर्ति के बिना ओपी राजभर चले जाते है भाजपा के साथ तो गलत होगा। बहुत मुश्किल से भाजपा विरोधी जनता इनपर यकीन करना शुरू की थी। भाजपा के अपेक्षा सपा, बसपा या कांग्रेस के साथ रहने से कुछ कम सीट मिल रहे है अगर बंटवारे मे तो आसानी से साथ हो जाना चाहिए।भाजपा जैसी गद्दार और देशद्रोही पार्टी से अधिक सीट भी मिले तो उसके साथ जाने से परहेज करना चाहिए। लेकिन इंतजार करिए आगे देखिए अभी क्या होता है?
-- राकेश राजभर
नोट- यह पोस्ट राकेश राजभर जी के फेसबुक पोस्ट से लिया गया है।
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