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भर राजभर साम्राज्य किताब । लेखक एम बी राजभर । भर राजभर इतिहास

 

Bhar Rajbhar Samrajya


राजभर समाज का इतिहास भारत की प्राचीन सांस्कृतिक धरोहरों में से एक महत्वपूर्ण अध्याय है। समाज की परंपराओं, संघर्षों और गौरवमयी अतीत को समझने के लिए प्रामाणिक साहित्य का अध्ययन आवश्यक है। इसी कड़ी में एम. बी. राजभर द्वारा लिखित शोध ग्रंथ “भर राजभर साम्राज्य” एक महत्वपूर्ण कृति के रूप में सामने आई है। यह पुस्तक भर–राजभर समाज की उत्पत्ति, विकास और योगदान पर गहन प्रकाश डालती है।


लेखक ने इस ग्रंथ में समाज की ऐतिहासिक जड़ों की खोज करते हुए बताया है कि भर एवं राजभर जाति का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है। विभिन्न पुराणों, ग्रंथों, शिलालेखों और ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर यह स्पष्ट किया गया है कि यह समाज प्राचीन भारत की प्रशासनिक और सांस्कृतिक धारा का अभिन्न अंग रहा है। भर राजाओं ने कई क्षेत्रों में शासन किया और अपनी वीरता, संगठन क्षमता तथा समाज सुधारक दृष्टिकोण से विशेष पहचान बनाई।


एम. बी. राजभर ने अपने शोध में यह भी उल्लेख किया है कि राजभर समाज ने शिक्षा, कृषि, युद्धकला, प्रशासन और समाज निर्माण में उल्लेखनीय योगदान दिया। समाज की परंपराएँ केवल लोककथाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनके प्रमाण पुरातात्विक स्थलों और ऐतिहासिक दस्तावेजों में भी मिलते हैं। पुस्तक में इस समाज के शौर्य, संघर्ष और बलिदानों की प्रेरक गाथाएँ विस्तार से प्रस्तुत की गई हैं, जिससे नई पीढ़ी अपने गौरवशाली अतीत से परिचित हो सके।


“भर राजभर साम्राज्य” केवल इतिहास का संकलन भर नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा शोध ग्रंथ है जो समाज की अस्मिता और स्वाभिमान को नई दिशा देता है। इस पुस्तक का अध्ययन करके पाठक यह समझ पाता है कि राजभर समाज की पहचान केवल एक जातीय इकाई तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका इतिहास भारतीय संस्कृति के व्यापक परिप्रेक्ष्य में गहराई से जुड़ा हुआ है।


आज के दौर में जब युवा पीढ़ी अपनी जड़ों से दूर होती जा रही है, ऐसे में इस तरह की शोधपरक रचनाएँ उन्हें अपनी पहचान और गौरव को समझने का अवसर देती हैं। यही कारण है कि इस पुस्तक की मांग समाज में लगातार बढ़ रही है। अच्छी बात यह है कि अब यह ग्रंथ आसानी से ऑनलाइन उपलब्ध है। इच्छुक पाठक इसे अमेज़ॉन और फ्लिपकार्ट जैसे प्रमुख ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म से मंगवा सकते हैं। इससे न केवल शोधार्थियों और विद्यार्थियों को लाभ होगा, बल्कि सामान्य पाठक भी समाज के इतिहास से जुड़ पाएँगे।


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अतः कहा जा सकता है कि एम. बी. राजभर की यह कृति भर–राजभर समाज के अतीत को जानने और समझने के लिए अत्यंत मूल्यवान है। यह पुस्तक समाज के लिए ही नहीं, बल्कि भारतीय इतिहास के अध्येताओं और इतिहास प्रेमियों के लिए भी संग्रहणीय है।


लेखक ✍️ 

गौतम 

गोरखपुर विश्वविद्यालय 

पीएचडी स्कॉलर JRF

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