राजभर वंश का इतिहास और कुछ राजाओं के नाम
लगभग 1400 वर्ष तक रहा राजभर सम्राज्य ( 150 ई० से 1488 ई०) तक । राजभर वंश का गोत्र महाराजा भारद्वाज जी अवध के वजह से गोत्र भारद्वाज है पुराना वंश- नाग वंश है।इसके बाद भारशिव वंश के नाम से जाने जाते थे। राजभर तथा राजभर समाज की उप जातियॉं के 153 लोग हैं। भारशिव वंश के नाम से इस देश का नाम भारत पड़ा था । जब राजभर वंश के लोगों ने राजपाट किया तो कुछ राजाओं ने पहले भारशिव वंश के नाम से किया । शिवलिंग को कंधे पर धारण करने की वजह से भारशिव कहलाये जिनमे वीरशेन भारशिव बहुत ही बड़े सम्राट थे । जिन्होंने 10 अश्वमेघ यज्ञ किये थे इसीलिए आज भी काशी में दसास्वमेघ घाट बनारस में स्थिति है और अब राजभर वंश के नाम से जाने जाते हैं ।
राजभर वंश के कुछ राजाओं के नाम निम्नलिखित है -
1-राजा धौरहरा राजभर 900 ई० लखीमपुरखीरी ।
2-राजा लाखन राजभर 1000 ई० लखनऊ के संस्थापक।
3-राजा कंस देव राजभर कमलाहार,मलीहाबाद लखनऊ
4-राजा सुहेलदेव राजभर 1021ई०आज का सुहेलवा वन जिला बहराइच या श्रावस्ती
5-राजा सातन राजभर 1170 ई० सातनकोट,कन्नोज के राजा।
6-महाराजा विजली राजभर 1170 ई० बिजनौर नगर,लखनऊ के राजा।
7-राजा क्षितादेव राजभर 1030 ई० सीतापुर।
8-राजा ह्नश देव राजभर 1280 ई० महोली, सीतापुर के राजा
9-राजा लहुरा वीर राजभर 1374 ई० लहरपुर,सीतापुर।
10-राजा डालदेव राजभर 1390 ई० रायबरेली।
11-राजा बालचन्द राजभर भरौली (रायबरेली)।
12-राजा ककोरन राजभर ककोरी लखनऊ ।
13- महाराजा महिपाल राजभर लखनेश्वर डीह बलिया
14-राजा माहे राजभर अमेठी रायबरेली।
15-राजा डल बल रायबरेली के शाशक ।
16-राजा हरदेव राजभर हरदोई के राजा थे।
17- महाराजा केरारवीर राजभर जौनपुर
18-राजा तिलोकचन्द राजभर 1488 ई० सचानकोट।
19-राजा खैरादेव राजभर खैराबाद,सीतापुर।
20-राजा जैश राजभर बाराबंकी।
21-राजा नंदकुवर राजभर कुशभावनपुर ।
22- महारानी बल्लरी देवी भर श्रावस्ती
23-राजा मोहन देव राजभर 1030 ई० मलिहाबाद,लखनऊ।
24-राजा नल देव राजभर नलग्राम के राजा।
25-राजा सलहे देव राजभर 1000 ई० ।
26-राजा काकोरन राजभर काकोरी लखनऊ
27-राजा खनई राजभर
28-राजा बहरदेव राजभर बहराइच के राजा थे।
29 राजा मांडरिख व कुहेरिया राजभर भदोही के
30-महारानी किंतिमा राजभर बाराबंकी ।
31महाराजा बारा राजभर बाराबंकी।
32-राजा इसौल राजभर सुलतानपुर।
33-राजा असिलदेव राजभर दहीदुवार आजमगढ़
34-राजा परीक्षित राजभर घोषी
35-राजा लाखन राजभर लखनऊ।
36- राजा रुद्रमल राजभर रुदौली फैजाबाद
37- महाराजा सम्राट भगवान वीरशेन भारशिव जी कान्तिपुरी ( मिर्जापुर ) काशी बनारस
कुछ लेखक और उनके द्वारा लिखा किताब के नाम निम्नलिखित हैं
इतिहासकार M B राजभर जी
भर राजभर सम्राज्य, नागभारशिव का इतिहास
हजारी प्रसाद द्विवेदी
पुनर्नवा
के पी जयसवाल
युगीन अन्ध भारत
पण्डित राहुल संस्कृत्यान
सतमी के बच्चे या कनैला की कथा
अमर सिंह अमरेश
राजकलश
डॉ रामगोपाल श्रीवास्तव जी
नव लाख का टूटा हाथी
राजगुरु आचार्य शिव प्रसाद राजभर जी
सुहेलदेव शौर्य गाथा
रामचन्द्र राव जी
वीरांगना महारानी बल्लरी देवी
रिंकी नीरज भारशिव
भर राजभर व उनके बंशज
अंग्रेज लेखक मुस्लिम लेखक व तमाम अन्य लेखको के साथ तमाम गजेटियर भी पढे़ं। राजभर ही असली क्षत्रिय हैं राजभर वंश के राजपाट को चातुर वर्ण ने छल कपट से नष्ट कर दिया और जब स्वंय युद्ध नही जीत पाते थे तो ये ये चातुर वर्ण के लोग तुर्किस्तान ईरान और अफगानिस्तान क्षेत्र के सल्तनत कालीन शासकों को निमन्तरण देकर हमारे राजभर वंश के राजाओं से लड़वाते थे और पीछे से पूरी मुखबिरी छल कपट करने का काम करते थे। गुलाम वंश, खिलजी वंश, तुगलक वंश, सय्यद वंश, लोदी वंश, शर्की वंश, शासकों को चातुर वर्ण के लोग राजभर समाज के राजओं को बरबाद करने मे स्तेमाल किए थे । राजभर समाज ने देश के साथ गद्दारी नही की भले ही वो राजा से वनवासी ,विमुक्त घुमन्तु ,मजदूर क्या क्या बन गया।
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