महाराजा सुहेलदेव राजभर का विजयोत्सव मनाया गया ।
बहराइच। चित्तौरा झील के तट पर मंगलवार को आयोजित महाराजा सुहेलदेव राजभर विजयोत्सव का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि युद्ध में जिंदा पकड़े गए गाजी को महाराजा सुहेलदेव राजभर ने ऐसी सजा दी, जो इस्लाम में जहन्नुम जाने जैसा है। अब बहराइच में विदेशी आक्रांता गाजी का नहीं बल्कि सुहेलदेव राजभर के नाम पर मेला लगेगा।
मुख्यमंत्री ने 1234 करोड़ की लागत से 384 परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया। इसमें बहराइच बाईपास भी शामिल है। सुहेलदेव राजभर की 40 फीट ऊंची अश्वारोही कांस्य प्रतिमा का अनावरण भी किया। पांच नवजातों का नाम सुहेलदेव राजभर रखकर उनका अन्नप्राशन कराया।
प्रतिमा लोकार्पण के बाद आयोजित जनसभा में मुख्यमंत्री ने कहा कि चित्तौरा झील के तट पर 10 जून 1034 को महाराजा सुहेलदेव राजभर व सैयद सालार मसूद गाजी के बीच भीषण युद्ध हुआ था। सुहेलदेव राजभर के साथ खड़े 20 से 25 हजार सैनिकों ने गाजी की पूरी सेना को तहस नहस कर दिया। यहीं पर गाजी जिंदा पकड़ा गया था। भारत के मठ मंदिरों को लूटकर भारतीय संस्कृति को नष्ट करने का मंसूबा लेकर आए गाजी को महाराजा सुहेलदेव राजभर ने अपनी कूटनीति व कुशल युद्धनीति से जहन्नुम में पहुंचा दिया।
इस कार्यक्रम में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पंचायती राज मंत्री ओमप्रकाश राजभर और सुभासपा के लाखों कार्यकर्ता समर्थक मौजूद थे । शिलापट्ट पर महाराजा सुहेलदेव राजभर जी का पुरा नाम ना लिखे जाने पर राजभर समाज नाराज दिखा ।
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